मंत्रालय: 
ग्रामीण विकास
  • पंजीकरण (संशोधन) बिल, 2013 को राज्यसभा में 8 अगस्त, 2013 को ग्रामीण विकास मंत्री, जयराम रमेश ने प्रस्तुत किया।
     
  • बिल पंजीकरण एक्ट, 1908 में संशोधन का प्रयास करता है। यह एक्ट अचल संपत्ति के पंजीकरण से संबंधित है।
     
  • एक्ट के तहत ऐसी अचल संपत्ति का पंजीकरण करना अनिवार्य नहीं है जोकि एक वर्ष से कम समय के लिए लीज पर दी गई है। बिल अचल संपत्ति की लीज की शर्तों पर ध्यान दिए बिना पंजीकरण को अनिवार्य बनाता है। इसमें एक वर्ष से कम समय के लिए लीज पर दी गई संपत्ति का पंजीकरण भी अनिवार्य किया गया है।
     
  • बिल कहता है कि वसीयत, वसीयत के जरिये गोद लेने के अधिकार और राज्य सरकार द्वारा अधिसूचित किसी दस्तावेज को संबंधित पक्षों द्वारा पंजीकृत किया जा सकता है।
     
  • बिल ऐसे मामलों में दस्तावेजों के पंजीकरण को प्रतिबंधित करता है जोकि निम्नलिखित प्रकार के लेन-देन से संबंधित हैः (क) अगर उन पर केंद्र या राज्य संबंधी कानूनों द्वारा प्रतिबंध लगाया गया हो, (ख) अगर केंद्र या राज्य सरकारों के स्वामित्व वाली प्रॉपर्टी का ट्रांसफर किया जा रहा हो या किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा प्रॉपर्टी का ट्रांसफर किया जा रहा हो जिसे ऐसा करने का वैधानिक अधिकार न हो, (ग) अगर प्रॉपर्टी किसी सरकारी अथॉरिटी के साथ स्थायी रूप से संलग्न कर दी गई हो, और (घ) अगर केंद्र, राज्य और स्थानीय सरकारों और शैक्षणिक, सांस्कृतिक, धार्मिक और धर्मार्थ संस्थाओं की अचल संपत्तियों से उपार्जित हित पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता हो।
     
  • एक्ट कहता है कि अचल संपत्ति केवल उसी राज्य में पंजीकृत की जा सकती है जहां वह स्थित है। बिल में इस संशोधन की मांग की गई है कि अचल संपत्ति से संबंधित दस्तावेजों को देश में कहीं भी पंजीकृत कराया जा सके।
     
  • पंजीकरण कार्यालय में दस्तावेज प्रस्तुत करने वाले किसी भी व्यक्ति को अपना पासपोर्ट साइज रंगीन फोटोग्राफ चिपकाना होगा, डिजिटल कैमरे से अपना फोटोग्राफ खिंचवाना होगा और दस्तावेज पर अपने अंगूठे का निशाना लगाना होगा।
     
  • बिल पंजीकरण शुल्क के अपर्याप्त भुगतान की वसूली से संबंधित नए प्रावधान करता है। साथ ही यह प्रावधान भी करता है कि अगर कानूनी तौर पर देय शुल्क से अधिक शुल्क चुकाया जाता है, तो उसकी वापसी की जाएगी।
     
  • देश में भूमि रिकॉर्ड के बढ़ते कंप्यूटरीकरण के परिणामस्वरूप संशोधनों को प्रस्तावित किया गया है। उदाहरण के लिए, बिल में कुछ मामलों में दस्तावेजों की स्कैन की हुई प्रतियों को संलग्न करने के प्रावधान भी शामिल हैं।
     
  • सभी बैंक और वित्तीय संस्थान, जो इक्विटेबल मॉर्गेज (गिरवी) के आधार पर ऋण देते हैं, उस पंजीकरण कार्यालय में मॉर्गेज की ई- प्रति भेज सकते हैं, जिसके क्षेत्राधिकार में मॉगेज होने वाली संपत्ति स्थित है।

 

 

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