मंत्रालय: 
वित्त
  • टैक्सेशन और अन्य कानून (विभिन्न प्रावधानों में राहत) अध्यादेश, 2020 को 31 मार्च, 2020 को जारी किया गया। अध्यादेश विशिष्ट कानूनों के अनुपालन के संबंध में कुछ राहत प्रदान करता है जैसे समय सीमा को बढ़ाना और सजा से छूट। इन कानूनों में इनकम टैक्स एक्ट, 1961 (आईटी एक्ट), कुछ फाइनांस एक्ट्स, सेंट्रल एक्साइज़ एक्ट, 1944, कस्टम्स एक्ट, 1962, बेनामी संपत्ति लेनदेन पर प्रतिबंध एक्ट, 1988 शामिल हैं। भारत में कोरोना वायरस की महामारी फैलने के कारण अध्यादेश राहत प्रदान करता है।
     
  • समय सीमाएं बढ़ाना: अध्यादेश निर्दिष्ट कानूनों के अंतर्गत कुछ कार्यों के अनुपालन या पूर्णता के लिए 20 मार्च, 2020 की समय सीमा को बढ़ाकर 29 जून, 2020 करता है। ऐसे कार्यों के अनुपालन या पूर्णता के लिए समय सीमा को बढ़ाकर 30 जून, 2020 या वह तिथि कर दिया गया है जिसे केंद्र सरकार अधिसूचित कर सकती है।
     
  • इन कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) नोटिस और अधिसूचना जारी करना, कार्यवाही पूरी करना और अधिकारियों और ट्रिब्यूनलों द्वारा आदेश पारित करना, (ii) अपील, जवाब और आवेदन दाखिल करना और दस्तावेज प्रस्तुत करना, और (iii) आईटी एक्ट के अंतर्गत कुछ कटौतियों या भत्तों का दावा करने के लिए कोई भी निवेश या भुगतान करना, जैसे कि आईटी एक्ट की धारा 80 सी से 80 जीजीसी के अंतर्गत, या वे जिन्हें सरकार अधिसूचित कर सकती है। सरकार विभिन्न कार्रवाइयों को पूरा करने के लिए अलग-अलग तिथियां अधिसूचित कर सकती है।
     
  • ब्याज और सजा: देय तिथि के बाद किया गया कोई भी कर भुगतान (20 मार्च, 2020 और 29 जून, 2020 के बीच), लेकिन 30 जून, 2020 (या सरकार द्वारा निर्दिष्ट किसी भी आगे की तारीख) से पहले, अभियोजन या दंड के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। भुगतान में देरी के लिए देय ब्याज की दर प्रति माह 0.75% से अधिक नहीं होगी।
     
  • जीएसटी संबंधित अनुपालन: अध्यादेश केंद्रीय वस्तु और सेवा कर एक्ट, 2017 में संशोधन करता है, ताकि केंद्र सरकार एक्ट के अंतर्गत विभिन्न अनुपालनों और कार्यों के लिए समय सीमा बढ़ाने की अधिसूचना जारी कर सके। जीएसटी परिषद के सुझावों के आधार पर समय सीमा बढ़ाई जाएगी। यह केवल उन कार्यों के मामले में किया जा सकता है, जिन्हें अप्रत्याशित घटनाओं (जैसे युद्ध, महामारी, या प्राकृतिक आपदा) के कारण पूरा नहीं किया जा सकता या उनका अनुपालन नहीं किया जा सकता है।
     
  • पीएम केयर्स फंड में दान: आईटी एक्ट में प्रावधान है कि निर्दिष्ट कटौतियों का लाभ हासिल करने के लिए कोई व्यक्ति अपनी कर योग्य आय को कम कर सकता है। कुछ फंड्स और धर्मार्थ संस्थानों को दिए गए दान पर भी कटौतियों का दावा किया जा सकता है। अध्यादेश आईटी एक्ट में संशोधन करता है और प्रावधान करता है कि किसी व्यक्ति द्वारा आपात स्थितियों में प्रधानमंत्री नागरिक सहायता और राहत कोष (पीएम केयर फंड) में किया गया दान एक्ट के अंतर्गत उसकी आय की गणना करते समय 100% कटौती का पात्र होगा। इसका अर्थ यह है कि कोई व्यक्ति फंड में जितनी राशि का दान करेगा, आईटी एक्ट के अंतर्गत उस व्यक्ति की कुल आय की गणना करते समय, उतनी राशि को उसकी आय से घटाया जा सकता है।
     
  • प्रत्यक्ष करों से संबंधित विवादों को सुलझाना: अध्यादेश प्रत्यक्ष कर विवाद से विश्वास एक्ट, 2020 में संशोधन करता है जिसमें इनकम टैक्स और कॉरपोरेशन टैक्स से संबंधित लंबित कर विवादों को सुलझाने की व्यवस्था की गई है। विवाद को हल करने के लिए व्यक्ति को डेक्लरेशन फाइल करना होगा और एक्ट के अंतर्गत निर्दिष्ट राशि चुकानी होगी। अगर भुगतान 31 मार्च, 2020 के बाद किया जाता तो अतिरिक्त राशि चुकानी पड़ती। अध्यादेश इस समय सीमा को 30 जून, 2020 करता है जिसका अर्थ यह है कि 30 जून, 2020 तक भुगतान करने पर कोई अतिरिक्त राशि नहीं चुकानी होगी।
     
  • अप्रत्यक्ष करों से संबंधित विवादों को सुलझाना: अध्यादेश फाइनांस (संख्या 2) एक्ट, 2019 में संशोधन करता है और सबका विकास (लीगेसी डिस्प्यूट रेज़ोल्यूशन) योजना के अंतर्गत विभिन्न कार्यों को पूरा करने के लिए निर्दिष्ट समय सीमा को बढ़ाता है। यह योजना सेंट्रल एक्साइज़ ड्यूटी और विभिन्न सेस जैसे अप्रत्यक्ष करों से संबंधित लंबित विवादों को सुलझाने की व्यवस्था प्रदान करती है। विवादों को सुलझाने के लिए किसी व्यक्ति को डेक्लरेशन फाइल करना होगा जिसके आधार पर निर्दिष्ट कमिटी योजना के अंतर्गत रेज़ोल्यूशन के लिए देय राशि का निर्धारण करेगी और स्टेटमेंट जारी करेगी। एक्ट के अंतर्गत कमिटी को डेक्लरेशन प्राप्त होने के 60 दिनों के भीतर स्टेटमेंट जारी करना चाहिए। अध्यादेश 60 दिन की समय सीमा को हटाता है और निर्दिष्ट करता है कि कमिटी को 31 मई, 2020 तक स्टेटमेंट जारी करना चाहिए।
     
  • योजना के अंतर्गत विवादों को सुलझाने के लिए व्यक्ति को स्टेटमेंट जारी होने के 30 दिनों के भीतर निर्दिष्ट कमिटी द्वारा निर्धारित राशि का भुगतान करना होगा। अध्यादेश 30 दिनों की समय सीमा को हटाता है और निर्दिष्ट करता है कि भुगतान 30 जून, 2020 तक किया जाना चाहिए।

 

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।