मंत्रालय: 
नागरिक उड्डयन
  • नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने 4 फरवरी, 2020 को एयरक्राफ्ट (संशोधन) बिल, 2020 को लोकसभा में पेश किया। बिल एयरक्राफ्ट एक्ट, 1934 में संशोधन का प्रयास करता है। एक्ट सिविल एयरक्राफ्ट्स की मैन्यूफैक्चरिंग, उनके कब्जे, इस्तेमाल, परिचालन, बिक्री, आयात और निर्यात तथा एयरोड्रोम्स की लाइसेंसिंग को रेगुलेट करता है।

बिल के मुख्य प्रावधानों में निम्नलिखित शामिल हैं:

  • अथॉरिटीज़बिल नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अंतर्गत तीन मौजूदा निकायों को एक्ट के अंतर्गत वैधानिक निकाय बनाता है। ये अथॉरिटीज़ हैं: (i) डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (डीजीसीए), (ii) ब्यूरो ऑफ सिविल एविएशन सिक्योरिटी (बीसीएएस), और (iii) एयरक्राफ्ट एक्सिडेंट्स इनवेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी)। इनमें से प्रत्येक निकाय का एक डायरेक्टर जनरल होगा, जिसकी नियुक्ति केंद्र सरकार करेगी।
  • डीजीसीए बिल के अंतर्गत आने वाले मामलों में सुरक्षा चौकसी तथा रेगुलेटरी काम करेगा। बीसीएएस नागरिक उड्डयन सुरक्षा से संबंधित रेगुलेटरी निगरानी का काम करेगा। एएआईबी एयरक्राफ्ट्स की दुर्घटनाओं और हादसों से संबंधित जांच करेगा। अगर जनहित में जरूरी हुआ तो केंद्र सरकार इन अथॉरिटीज़ के कामकाज से संबंधित मामलों में दिशानिर्देश जारी कर सकती है।
     
  • केंद्र की नियम बनाने की शक्तिएक्ट के अंतर्गत केंद्र सरकार विभिन्न मामलों पर नियम बना सकती है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एयरक्राफ्ट का रजिस्ट्रेशन, (ii) हवाई परिवहन सेवाओं का रेगुलेशन, और (iii) किसी निर्दिष्ट क्षेत्र में हवाई उड़ान पर प्रतिबंध। बिल इस सूची में हवाई नेविगेशन के रेगुलेशन को जोड़ता है। बिल केंद्र सरकार को इस बात की अनुमति देता है कि वह बीसीएएस के डायरेक्टर जनरल या किसी अधिकृत अधिकारी को दिशानिर्देश जारी करने और कुछ मामलों में नियम बनाने का अधिकार दे सकती है। इन मामलों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) किन स्थितियों में एयरक्राफ्ट उड़ाया जा सकता है, (ii) एयरक्राफ्ट्स का निरीक्षण, और (iii) गैरकानूनी हस्तक्षेप से नागरिक उड्डयन की रक्षा करने के उपाय।
     
  • एड्जुडिकेटिंग ऑफिसर्सबिल में यह प्रावधान है कि डेप्युटी सेक्रेटरी से उच्च स्तर के अधिकारियों की नियुक्ति की जाए जोकि बिल के अंतर्गत निर्दिष्ट सजा पर फैसला सुनाएं। इस अधिकारी के फैसले के खिलाफ पीड़ित व्यक्ति अपीलीय अधिकारी के समक्ष अपील कर सकता है। आदेश प्राप्त होने के 30 दिनों के भीतर अपील दायर की जानी चाहिए।
     
  • अपराध और सजाएक्ट के अंतर्गत विभिन्न अपराधों के लिए अधिकतम दो वर्षों की सजा, या 10 लाख रुपए तक का जुर्माना, या दोनों भुगतने पड़ सकते हैं। इन अपराधों में निम्नलिखित शामिल हैं: (i) एयरक्राफ्ट में हथियार, विस्फोटक या दूसरी खतरनाक वस्तुएं ले जाना, (ii) एक्ट के अंतर्गत किसी निर्दिष्ट नियम का उल्लंघन करना, और (iii) एयरोड्रोम रेफ्रेंस प्वाइंट के इर्द-गिर्द के रेडियस में बिल्डिंग बनाना या दूसरे कंस्ट्रक्शन करना। बिल इन सभी अपराधों पर जुर्माने को बढ़ाकर 10 लाख रुपए से एक करोड़ रुपए के बीच करता है। 
     
  • बिल के अंतर्गत केंद्र सरकार किसी प्रावधान का उल्लंघन करने पर व्यक्ति को जारी लाइसेंस, सर्टिफिकेट या अनुमोदन रद्द कर सकती है। इनमें निम्नलिखित के लिए दिए गए लाइसेंस भी शामिल हैं: (i) हवाई परिवहन सेवा की स्थापना, (ii) एयरोड्रोम्स की स्थापना, और (iii) एयरक्राफ्ट का परिचालन, मरम्मत और रखरखाव।
     
  • बिल एक्ट के अंतर्गत आने वाले अपराधों या नियमों की कंपाउंडिंग की अनुमति देता है। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं: (i) किसी व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचाने के लिए उड़ान, और (ii) तीनों निकायों में से किसी एक के डायरेक्टर जनरल द्वारा जारी निर्देशों का उल्लंघन। डायरेक्टर जनरल्स केंद्र सरकार द्वारा निर्दिष्ट तरीकों से इन अपराधों की कंपाउंडिंग कर सकते हैं। बार-बार अपराध करने पर अपराधों की कंपाउंडिंग की अनुमति नहीं है।   
     
  • सिविल एविएशन, बीसीएएस या एएआईबी महानिदेशक द्वारा शिकायत करने पर, या उनकी पूर्व अनुमति के बाद ही अदालतें किसी अपराध को संज्ञान में लेंगी। मेट्रोपॉलिटन मेजिस्ट्रेट या प्रथम श्रेणी के मेजिस्ट्रेट के बराबर या उससे सुपीरियर अदालतें ही एक्ट के अंतर्गत अपराधों पर विचार कर सकती हैं। 
     
  • सशस्त्र बलों को छूट: केंद्र की नौसेना, सेना या वायु सेना के एयरक्राफ्ट्स को एक्ट के प्रावधानों से छूट है। बिल इस छूट के दायरे को बढ़ाता है और इसमें केंद्र के किसी भी सशस्त्र बल के एयरक्राफ्ट्स को शामिल करता है। हालांकि नौसेना, सेना और वायु सेना के अतिरिक्त सशस्त्र बल के एयरक्राफ्ट्स, जो वर्तमान में कानून के अंतर्गत रेगुलेटेड हैं, को यह छूट मिलती रहेगी, जब तक केंद्र सरकार द्वारा अन्य प्रावधान निर्दिष्ट नहीं किए जाते।

 

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