मंत्रालय: 
स्वास्थ्य

 

  • इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल (संशोधन) अध्यादेश, 2020 को 24 अप्रैल, 2020 को जारी किया गया। यह अध्यादेश इंडियन मेडिसिन सेंट्रल काउंसिल एक्ट, 1970 में संशोधन करता है। एक्ट सेंट्रल काउंसिल के गठन का प्रावधान करता है जोकि भारतीय औषधि प्रणाली (आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा सहित) की शिक्षा और प्रैक्टिस को रेगुलेट करता है।
  • सेंट्रल काउंसिल का सुपरसेशन: अध्यादेश 1970 के एक्ट में संशोधन करता है और सेंट्रल काउंसिल के सुपरसेशन का प्रावधान करता है। सेंट्रल काउंसिल को सुपरेशन की तारीख के एक साल के भीतर पुनर्गठित करना होगा। इस अंतरिम अवधि में केंद्र सरकार बोर्ड ऑफ गवर्नर का गठन करेगी जोकि सेंट्रल काउंसिल की शक्तियों का इस्तेमाल करेगा।
     
  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स: बोर्ड ऑफ गवर्नर्स (बोर्ड) में अधिकतम दस सदस्य होंगे। सदस्यों में भारतीय औषधि के क्षेत्र के प्रतिष्ठित व्यक्ति और प्रतिष्ठित प्रशासक शामिल होंगे। वे नामित सदस्य हो सकते हैं या पदेन सदस्य, जिन्हें केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त किया जाएगा। केंद्र सरकार बोर्ड के चेयरपर्सन के रूप में एक सदस्य को चुनेगी।
     
  • बोर्ड 1970 के एक्ट के अंतर्गत गठित सेंट्रल काउंसिल की शक्तियों का इस्तेमाल करेगा और उसके लिए निर्धारित कार्य करेगा। इनमें भारतीय औषधि की प्रैक्टिस और शिक्षा को रेगुलेट करना शामिल है। 
     
  • केंद्र सरकार की शक्तियां: बोर्ड और सेंट्रल काउंसिल (पुनर्गठन के बाद) नीतिगत मामलों (तकनीकी और प्रशासनिक मामलों के अतिरिक्त) से संबंधित सवालों पर केंद्र सरकार के निर्देशों का पालन करने के लिए बाध्य हैं।

 

अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।