स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

मर्चेंट शिपिंग बिल, 2016

  • परिवहन, पर्यटन और संस्कृति संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपर्सन : मुकुल रॉय) ने 18 जुलाई, 2017 को मर्चेंट शिपिंग बिल, 2016 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बिल मर्चेंट शिपिंग एक्ट, 1958 और तटीय जहाज एक्ट, 1838 को रद्द करता है।
     
  • पंजीकृत नाविक : बिल के अंतर्गत, एक नाविक वह व्यक्ति है जोकि समुद्र में जाने वाले जहाज के बोर्ड पर किसी भी पद पर तैनात है या काम करता है। बिल कहता है कि सुरक्षा से संबंधित अंतरराष्ट्रीय कनवेंशनों के अनुसार कोई भी विदेशी जहाज पंजीकृत नाविकों के बिना नहीं चलाया जाएगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि यह प्रावधान भारतीय जहाजों पर भी लागू होना चाहिए।
     
  • फंसे हुए जहाज : बिल कहता है कि नाविकों की नियुक्ति करना जहाज के मास्टर (बंदरगाह पर शिपिंग कार्यालय का प्रबंधक) का काम है। कमिटी ने टिप्पणी की कि ऐसे कई मामले हैं जिनमें जहाज के मालिकों और मास्टरों द्वारा फंसे हुए जहाजों के नाविकों के साथ दुर्व्यवहार किया गया है। कमिटी ने सुझाव दिया कि ऐसे मुद्दों को जहाज के मास्टरों के कर्तव्यों में शामिल किया जाना चाहिए।
     
  • ट्रेड यूनियंस : कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल में ट्रेड यूनियनों की भूमिका को स्पष्ट रूप से मान्यता दी जानी चाहिए। ऐसा करना नाविकों और जहाज के मालिकों के परस्पर हित में होगा।
     
  • रोजगार के अवसर : बिल कहता है कि नाविकों की नियुक्ति के लिए जहाज के मास्टर या मालिक करार (आर्टिकल ऑफ एग्रीमेंट) कर सकते हैं। बिल नाविकों के रूप में विदेशी नागरिकों की नियुक्ति के लिए कुछ प्रावधानों को भी स्पष्ट करता है। कमिटी ने टिप्पणी की कि इस प्रावधान का गलत अर्थ निकाला जा सकता है और संभव है कि इससे भारतीय नाविकों को नौकरियां न मिलें। कमिटी ने यह सुझाव दिया कि भारतीय नाविकों को रोजगार के अधिक से अधिक अवसर मिलें, यह सुनिश्चित करने के लिए जरूरी सुरक्षात्मक उपाय किए जा सकते हैं। इस संबंध में कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि बिल के अंतर्गत स्थापित राष्ट्रीय शिपिंग बोर्ड में शिपिंग उद्योग के सभी हितधारकों का प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
     
  • नाविकों के वेतन : बिल कहता है कि क्षति, बीमारी इत्यादि की स्थिति में सेवा समाप्त होने पर नाविकों को वेतन का भुगतान किया जाएगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि शिपिंग महानिदेशालय को ऐसे जहाज मालिकों को दंडित करने की शक्ति प्रदान की जानी चाहिए जो नाविकों को देय वेतन का भुगतान नहीं करते। सरकार को जहाज मालिकों के शोषण से नाविकों को सुरक्षा प्रदान करनी चाहिए।
     
  • मछुआरों की सुरक्षा : कमिटी ने टिप्पणी की कि ऐसे कई मामले हैं जब छोटी नावों के मछुआरे मारे गए या भारतीय तटों से उनकी छोटी नावें टकरा गईं। कमिटी ने सुझाव दिया कि सरकार को इन मुद्दों को उचित नीति के जरिए संबोधित करना चाहिए और बिल में इस संबंध में समुचित दंड निर्दिष्ट किए जाने चाहिए।
     
  • अंतरराष्ट्रीय कनवेंशन : बिल प्रदूषण के कारण होने वाले नुकसान के लिए जहाज मालिक को जिम्मेदार ठहराता है और ऐसी स्थितियों को भी स्पष्ट करता है जिनमें जहाज मालिक को इसके लिए जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। कमिटी के अनुसार इंटरनेशनल कनवेंशन ऑन सिविल लायबिलिटी फॉर ऑयल पॉल्यूशन डैमेज कहता है कि अगर जहाज मालिक यह साबित कर देता है कि सरकार या नेविगेशनल एड्स का रखरखाव करने वाली किसी एजेंसी की लापरवाही या दोषपूर्ण कार्य की वजह से नुकसान हुआ है तो जहाज मालिक को जिम्मेदार नहीं ठहराया जाएगा। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल में भी यह छूट दी जानी चाहिए।
     
  • शिकायत निवारण : कमिटी ने गौर किया कि बचाव कार्य (साल्वेज अभियान), क्षति के बाद मलबा हटाने इत्यादि के दौरान शिकायतों की अनेक संभावनाएं होती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल में शिकायत निवारण के जरूरी प्रावधान शामिल किए जाने चाहिए।
     
  • गलत व्याख्याएं : कमिटी ने टिप्पणी की कि बिल का मसौदा इतनी जल्दबाजी में तैयार किया गया है कि इसमें बहुत सी कमियां (लूपहोल्स) हैं और इसकी कई व्याख्याएं की जा सकती हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को बिल के सभी खंडों (क्लॉज़ेज़) पर दोबारा गौर करना चाहिए ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि बिल गलत व्याख्याओं और कमियों से रहित है। कमिटी ने यह टिप्पणी भी की कि यह सुनिश्चित करने के लिए सावधानियां बरती जानी चाहिए कि बिल के प्रावधानों का दुरुपयोग नहीं किया जा रहा है, विशेष रूप से जहाजों के निरीक्षण, नियंत्रण और उसे हिरासत में रखने के संबंध में।
     
  • नियमों के माध्यम से मुद्दों को संबोधित करना : कमिटी ने सुझाव दिया कि अनेक मुद्दों को नियमों या डेलिगेटेड लेजिसलेशन यानी अधीनस्थ विधान के जरिए स्पष्ट या संबोधित किया जाना चाहिए। इनमें निम्नलिखित शामिल हैं : (i) जहाज की बिक्री की स्थिति में मॉर्टगेजी के अधिकार, (ii) सर्टिफिकेट लेने के लिए डॉक्यूमेंटरी प्रमाण की जरूरत, (iii) नाविकों के लिए भर्ती और प्लेसमेंट की सेवा, और (iv) नाविकों के लिए शिकायत दर्ज करने का फोरम।

 

 

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