स्टैंडिंग कमिटी की रिपोर्ट का सारांश

नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ फूड टेक्नोलॉजी, इंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट बिल, 2019 

  • कृषि संबंधी स्टैंडिंग कमिटी (चेयरपी. सी. गद्दीगौदर) ने 3 दिसंबर, 2019 को नेशनल इंस्टीट्यूट्स ऑफ फूड टेक्नोलॉजी, इंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट बिल, 2019 पर अपनी रिपोर्ट सौंपी। बिल खाद्य तकनीक, उद्यमिता और प्रबंधन के कुछ संस्थानों को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करता है। ये संस्थान हैं नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ फूड टेक्नोलॉजी, इंटरप्रेन्योरशिप एंड मैनेजमेंट (एनआईएफटीईएम) कुंडली और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ फूड प्रोसेसिंग टेक्नोलॉजी (आईआईएफपीटी) तंजावुर। कमिटी के मुख्य निष्कर्षों और सुझावों में निम्न शामिल हैं
     
  • बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का संयोजनबिल में बोर्ड ऑफ गवर्नर्स का प्रावधान है जोकि संस्थान की मुख्य एग्जीक्यूटिव बॉडी होगा। बोर्ड संस्थान के सामान्य निरीक्षण, निर्देशन और मामलों के नियंत्रण के लिए जिम्मेदार होगा। खाद्य विज्ञान या तकनीक, प्रबंधन या लोक प्रशासन के क्षेत्र का विशिष्ट व्यक्ति इस बोर्ड का चेयरपर्सन होगा। कमिटी ने कहा कि चूंकि खाद्य प्रोसेसिंग क्षेत्र एक विशिष्ट क्षेत्र है, चेयरपर्सन को उद्योग या एकैडमिया का व्यावहारिक अनुभव होना चाहिए। उसने सुझाव दिया कि चेयरपर्सन के रूप में नियुक्त होने वाले लोगों में से लोक प्रशासक को हटाया जाना चाहिए। कमिटी ने कहा कि इससे संस्थान के कामकाज की नौकरशाह प्रवृत्ति को खत्म करने और उद्योग अनुकूल नीतियों को अपनाने में मदद मिलेगी।
     
  • कमिटी ने कहा कि इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एक्ट, 1961 में प्रावधान है कि आईआईटीज़ के प्रबंधन के लिए सेंट्रल बॉडी में तीन संसद सदस्यों को शामिल किया जाएगा। उसने कहा कि खाद्य प्रसंस्करण का क्षेत्र कृषि क्षेत्र से जुड़ा हुआ है और संसद सदस्यों को इस क्षेत्र की जमीनी सच्चाइयों का अनुभव होता है। इसलिए वे लोग संस्थान के कामकाज में जरूरी व्यावहारिकता ला सकते हैं। कमिटी ने सुझाव दिया कि इंस्टीट्यूट्स ऑफ टेक्नोलॉजी एक्ट, 1961 की तर्ज पर बोर्ड ऑफ गवर्नर्स में भी संसद सदस्य को शामिल किया जाए।
     
  • टेक्निकल कोर्सेज़ की फीस की अधिकतम सीमा: ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) के अंतर्गत नेशनल फी कमिटी पेशेवर पाठ्यक्रमों के लिए वसूली जाने वाली अधिकतम ट्यूशन और डेवलपमेंट फी तय करती है। कमिटी ने कहा कि नेशनल फी कमिटी द्वारा सुझाई गई अधिकतम फी की तुलना में एनआईएफटीईएम, कुंडली कुछ पाठ्यक्रमों के लिए अधिक फीस वसूल रहा है। 
     
  • कमिटी ने केंद्र सरकार को सुझाव दिया कि एनआईएफटीईएम, कुंडली अब तक किस हद तक अतिरिक्त फी वसूल चुका है, उसका विश्लेषण करने तथा सुधारात्मक उपाय करने के लिए एक उच्च स्तरीय कमिटी का गठन किया जाए। उसने खाद्य प्रसंस्करण मंत्रालय को सुझाव दिया कि वह नेशनल फी कमिटी के सुझावों के अनुसार वर्तमान शैक्षणिक वर्ष से मौजूदा पाठ्यक्रमों की फीस की सीमा तय करे। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि एनआईएफटीईएमज़ के विभिन्न पाठ्यक्रमों की फीस को उपयुक्त सीमा तक निर्धारित करने के लिए बिल में नया प्रावधान जोड़ा जाए। 
     
  • ट्यूशन फी पर छूट की योजनाएआईसीटीई महिलाओं और आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए टेक्निकल संस्थानों के पाठ्यक्रमों में ट्यूशन फी में छूट प्रदान करता है। कमिटी ने कहा कि एनआईएफटीईएम कुंडली और आईआईएफपीटी तंजावुर एआईसीटीई नियमों के अंतर्गत ऐसी छूट नहीं दे रहे। उसने केंद्र सरकार को यह सुझाव दिया कि वह आर्थिक रूप से कमजोर वर्गों के लिए इस छूट योजना के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करे। कमिटी ने यह सुझाव भी दिया कि केंद्र सरकार को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, तथा दिव्यांग विद्यार्थियों के लिए इन संस्थानों में पूरी फीस माफी योजना को शुरू करना चाहिए।  
     
  • स्कॉलरशिप फीकमिटी ने कहा कि एनआईएफटीईएम कुंडली स्कॉलरशिप देने के लिए विद्यार्थियों से अलग फी जमा कर रहा है। 2016-17 से संस्थान प्रत्येक विद्यार्थी से प्रत्येक सेमिस्टर में 6,000 रुपए स्कॉलरशिप फी के तौर पर वसूल रहा है। उसने सुझाव दिया कि फीस के इस हिस्से को बंद किया जाना चाहिए। उसने केंद्र सरकार को निर्देश दिया कि वह संस्थान के बजटीय सहयोग में बढ़ोतरी करे जिससे समाज के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थियों को स्कॉलरशिप दी जा सके। 
     
  • डेलिगेटेड लेजिसलेशनकमिटी के अनुसार, बिल बोर्ड को यह अधिकार देता है कि वह केंद्र सरकार की पूर्व मंजूरी के साथ इन संस्थानों के विधानों के प्रावधानों को बना सकता है, उन्हें रद्द कर सकता है या उनमें संशोधन कर सकता है। कमिटी ने सुझाव दिया कि बिल में संशोधन किया जाए और उसमें यह अपेक्षित हो कि विधानों में किसी भी प्रकार के परिवर्तन से पहले उसे संसद के प्रत्येक सदन के पटल पर रखा जाए। 

 

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