सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019 (लोकसभा में पारित) और सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2021 (राज्यसभा में पारित) की तुलना 

लोकसभा में 15 जुलाई, 2019 को सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019 को पेश किया गया और इसे 5 अगस्त, 2019 को पारित किया गया। इस बिल को सिलेक्ट कमिटी को भेजा गया जिसने 5 फरवरी, 2020 को अपनी रिपोर्ट सौंपी।[1]  2019 का बिल राज्यसभा में 8 दिसंबर, 2021 को कुछ संशोधनों (जैसा कि सिलेक्ट कमिटी ने सुझाया था) के साथ पारित किया गया। तालिका 1 में 2019 के बिल (2019 में लोकसभा में पारित) की तुलना 2021 के बिल (जिसे 2021 में राज्यसभा में पारित किया गया) के साथ की जा रही है। बिल को लोकसभा में दोबारा पारित करना पड़ेगा, चूंकि राज्यसभा ने संशोधनों के साथ बिल को पारित किया है।

तालिका 1लोकसभा और राज्यसभा में पारित सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल्स के बीच तुलना

 

लोकसभा में पारित सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019

 

राज्यसभा में पारित सेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2021

 

सेरोगेसी को कमीशन करने की पात्रता

  • सेरोगेसी करने के लिए इच्छुक कपल के पास अनिवार्यता का सर्टिफिकेट और योग्यता का सर्टिफिकेट होना चाहिए जोकि उसे समुचित (एप्रोप्रिएट) अथॉरिटी जारी करेगी।
  • अनिवार्यता सर्टिफिकेट तभी मिलेगा, जब कपल सभी विशिष्ट शर्तों को पूरा करता हो। इन शर्तों के अलावा उनके पास इनफर्टिलिटी साबित करने वाला सर्टिफिकेट भी होना चाहिए जो जिला मेडिकल बोर्ड जारी करेगा। इनफर्टिलिटी का मतलब है कि पांच साल के असुरक्षित सहवास के बाद या दूसरी मेडिकल स्थितियों के कारण गर्भधारण करने में अक्षमता।
  • इच्छुक कपल को निम्नलिखित शर्तों को पूरा करने पर योग्यता का सर्टिफिकेट जारी किया जाएगा(i) वे भारतीय नागरिक होने चाहिए और उनका विवाह हुए कम से कम पांच वर्ष होने चाहिए, (ii) उन्हें 23 से 50 वर्ष (पत्नी) और 26 से 55 वर्ष (पति) के बीच होना चाहिए, (iii) उनका कोई जीवित बच्चा (बायोलॉजिकल, गोद लिया हुआ या सेरोगेट) न हो, इसमें ऐसे बच्चे शामिल नहीं हैं जो मानसिक या शारीरिक रूप से अक्षम हैं या प्राणघातक बीमारी से ग्रस्त हैं। बोर्ड पात्रता की अतिरिक्त शर्तों को निर्दिष्ट कर सकता है। 
  • इच्छुक कपल वह है जिसकी मेडिकल स्थिति जेस्टेशनल सेरोगेसी की जरूरत का संकेत देती है। कोई महिला भी सेरोगेसी को कमीशन कर सकती है। इस महिला को भारतीय नागरिक होना चाहिए, और जिसके पति की मृत्यु हो गई हो या वह तलाकशुदा हो। उसकी आयु 35 से 45 वर्ष के बीच होनी चाहिए। इच्छुक कपल और इच्छुक महिला को बोर्ड की सिफारिश वाला पत्र हासिल करना होगा (अनिवार्यता और योग्यता के सर्टिफिकेट के अतिरिक्त)।
  • अनिवार्यता सर्टिफिकेट तभी मिलेगा, अगर इच्छुक कपल या इच्छुक महिला कुछ निर्दिष्ट शर्तो को पूरा करते हों। इसमें जिला मेडिकल बोर्ड का वह सर्टिफिकेट भी शामिल है जिसमें जेस्टेशनल सेरोगेसी की मेडिकल जरूरत का संकेत मिलता हो। इनफर्टिलिटी को साबित करने वाले सर्टिफिकेट की जरूरत खत्म कर दी गई है।
  • इच्छुक कपल की योग्यता के सर्टिफिकेट वाली शर्त में बदलाव किए गए हैं। इसमें उस शर्त को हटा दिया गया है जो कि कहती थी कि कोई कपल शादी के कम से कम पांच वर्ष बाद सेरोगेसी करवा सकता है।   

सेरोगेट होने के लिए पात्रता

  • सेरोगेट महिला को निम्नलिखित होना चाहिए: (i) उसे इच्छुक कपल का निकट संबंधी होना चाहिए, (ii) उसे शादीशुदा होना चाहिए और उसका खुद का कम से कम एक बच्चा होना चाहिए (iii) उसे 25 से 35 वर्ष के बीच का होना चाहिए, (iv) वह जीवन में सिर्फ एक बार सेरोगेसी करवा सकती है, और (v) उसके पास सेरोगेसी के लिए मेडिकल और मनोवैज्ञानिक फिटनेस का सर्टिफिकेट होना चाहिए। सेरोगेट महिला सेरोगेसी के लिए अपने गैमेट्स नहीं दे सकती।
  • सेरोगेट महिला, इच्छुक कपल की निकट संबंधी हो, इस शर्त को हटा दिया गया है। 2021 के बिल में कहा गया है कि कोई भी महिला स्वेच्छा से सेरोगेट माता बन सकती है। सेरोगेसी के लिए आवेदन करते समय इच्छुक कपल, या इच्छुक महिला को उस महिला के साथ समुचित अथॉरिटी से संपर्क करना चाहिए जो स्वेच्छा से सेरोगेट माता बनना चाहती है। बाकी की शर्तें पहले जैसी ही हैं।

सेरोगेट के लिए क्षतिपूर्ति

  • सेरोगेट को कोई खर्चा या मौद्रिक प्रोत्साहन नहीं दिया जाएगा, सिवाय मेडिकल खर्चे और सेरोगेट महिला के लिए बीमा कवरेज के अलावा।
  • बीमा को ऐसे अरेंजमेंट के तौर पर स्पष्ट किया गया है जिसके जरिए एक कंपनी, व्यक्ति या इच्छुक कपल सेरोगेसी की प्रक्रिया के दौरान सेरोगेट माता को नुकसान, क्षति, बीमारी या मृत्यु होने पर हर्जाने की गारंटी देती है। केंद्र सरकार बीमा कवरेज को निर्दिष्ट करेगी। 
  • सेरोगेट महिला को 16 महीने की अवधि के लिए बीमा कवरेज मिलना चाहिए।
  • 2021 के बिल में प्रावधान है कि मेडिकल खर्चे और बीमा के अतिरिक्त सेरोगेट पर किए गए दूसरे निर्दिष्ट खर्चों का भुगतान भी किया जाएगा।
  • बीमा की परिभाषा को बढ़ाया गया है ताकि इसमें मेडिकल खर्चे, स्वास्थ्य संबंधी अन्य समस्याओं और सेरोगेसी की प्रक्रिया के दौरान सेरोगेट माता पर किए गए अन्य निर्दिष्ट खर्चों को भी शामिल किया जा सके। केंद्र सरकार बीमा प्रदान करने के तरीके को भी निर्दिष्ट करेगी।  
  • सेरोगेट महिला का बीमा कवरेज 36 महीने की अवधि तक बढ़ाया गया है।

सेरोगेसी बोर्ड्स

 

  • केंद्र और राज्य सरकार क्रमशः राष्ट्रीय सेरोगेसी बोर्ड (एनएसबी) और राज्य सेरोगेसी बोर्ड्स (एसएसबी) बनाएंगी। एनएसबी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल हैं (i) सेरोगेसी से संबंधित नीतिगत मामलों में केंद्र सरकार को सलाह, (ii) सेरोगेसी क्लिनिक्स के लिए आचार संहिता बनाना, और (iii) एसएसबी के कामकाज पर निगरानी रखना।
  • राष्ट्रीय सेरोगेसी बोर्ड और राज्य सेरोगेसी बोर्ड्स को क्रमशः राष्ट्रीय असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी और सेरोगेसी बोर्ड तथा राज्य स्तरीय असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी और सेरोगेसी बोर्ड्स नाम दिया गया है। उनके काम पहले जैसे ही हैं।

राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय बोर्ड में एक्सपर्ट्स

  • राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय बोर्ड्स में 10 एक्सपर्ट सदस्य होंगे जिनकी नियुक्ति संबंधित सरकार करेगी। इसमें दो सदस्यों में से एक प्रतिष्ठित गायनाकोलॉजिस्ट और आब्स्टट्रिशियन होगा (होगी) या स्त्री रोग या प्रसूतितंत्र का (की) एक्सपर्ट होगा (होगी)।
  • इन एक्सपर्ट सदस्यों का कार्यकाल एक वर्ष होगा।
  • 2021 के बिल में एक्सपर्ट सदस्यों की सूची से स्त्री रोग या प्रसूति तंत्र के (की) एक्सपर्ट्स को हटाया गया है।
  • एक्सपर्ट सदस्यों का कार्यकाल बढ़ाकर तीन वर्ष किया गया है।

समुचित (एप्रोप्रिएट) अथॉरिटीज़

  • केंद्र और राज्य सरकार एक या एक से अधिक समुचित अथॉरिटीज़ को नियुक्त करेंगी। अथॉरिटी के कार्यों में निम्नलिखित शामिल होगा: (i) सेरोगेसी क्लिनिक्स को पंजीकरण देना, उसे सस्पेंड करना या रद्द करना, (ii) सेरोगेसी क्लिनिक्स के मानकों को लागू करना, (iii) बिल के प्रावधानों का उल्लंघन होने पर जांच और कार्रवाई करना, और (iv) नियमों और रेगुलेशंस में परिवर्तनों पर सुझाव देना।
  • समुचित अथॉरिटी को सेरोगेसी क्लिनिक्स के पंजीकरण, उनके रद्द होने, रीन्यू होने, इच्छुक कपल और सेरोगेट महिला को सर्टिफिकेट देने या सेरोगेसी क्लिनिक्स को लाइसेंस देने से जुड़े किसी अन्य मामले, जैसा कि निर्दिष्ट किया जाए, का विवरण रखना होगा।
  • राज्य/ केंद्र शासित प्रदेश के लिए समुचित अथॉरिटी की अध्यक्षता स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के अधिकारी या उससे उच्चाधिकारी द्वारा की जाएगी।
  • इस बिल और असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एक्ट, दोनों के लिए केंद्र और राज्य सरकार समुचित अथॉरिटीज़ की नियुक्ति करेंगी। उनके काम वैसे ही रहेंगे।
  • असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी एक्ट के अंतर्गत गठित राष्ट्रीय असिस्टेड रीप्रोडक्टिव टेक्नोलॉजी और सेरोगेसी रजिस्ट्री सेरोगेसी क्लिनिक्स के पंजीकरण के लिए रजिस्ट्री के तौर पर काम करेगी। 
  • समुचित अथॉरिटी द्वारा रखे गए विवरण को राष्ट्रीय सेरोगेसी बोर्ड को सौंपा जाना चाहिए।
  • राज्य/केंद्र शासित प्रदेश के लिए एक समुचित अथॉरिटी की अध्यक्षता (पदेन) स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के ज्वाइंट सेक्रेटरी स्तर के या उससे उच्चाधिकारी द्वारा की जाएगी। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के ज्वाइंट डायरेक्टर उपाध्यक्ष (पदेन) होंगे।

 

अपील

  • सेरोगेसी क्लिनिक समुचित अथॉरिटी के आवेदन को नामंजूर करने, उसे सस्पेंड या रद्द करने के आदेश के खिलाफ राज्य या केंद्र सरकार (जैसा भी मामला हो) से अपील कर सकता है।
  • 2021 के बिल में कहा गया है कि इच्छुक कपल या महिला बोर्ड द्वारा सिफारिश, अनिवार्यता वाले सर्टिफिकेट या जेस्टेशनल सेरोगेसी की मेडिकल जरूरत का संकेत देने वाले सर्टिफिकेट की नामंजूरी का पता चलने पर अपील कर सकते हैं। 

कमर्शियल सेरोगेसी के लिए सजा

  • बिल में ऐसे इच्छुक कपल्स और दूसरे व्यक्तियों के लिए सजा का प्रावधान है जोकि सेरोगेसी क्लिनिक्स या निर्दिष्ट मेडिकल प्रैक्टीशनर्स से कमर्शियल सेरोगेसी के लिए मदद की मांग करते हैं। सजा में पांच साल तक की जेल और पांच लाख रुपए तक का जुर्माना शामिल है (पहले अपराध पर)।
  • 2021 के बिल में कमर्शियल सेरोगेसी को हटा दिया गया है, और इसकी बजाय इच्छुक कपल, इच्छुक महिला और अन्य व्यक्तियों के लिए परोपकारी (ऐल्ट्रूइस्टिक) सेरोगेसी का पालन न करने पर सजा तय की गई है।  

 

एंब्रेयोलॉजिस्ट की क्वालिफिकेशन

  • बिल के अनुसार, एंब्रेयोलॉजिस्ट ऐसा व्यक्ति है जिसने इंडियन मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1956 के अंतर्गत मान्यता प्राप्त ह्यूमन एंब्रेयोलॉजी (मानव भ्रूण) के क्षेत्र में पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल क्वालिफिकेशन हासिल की है या उसने किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से ह्यूमन एंब्रेयोलॉजी में पोस्ट ग्रैजुएट डिग्री ली है और उसे कम से कम दो वर्ष का क्लिनिकल अनुभव है। 
  • एंब्रेयोलॉजिस्ट की परिभाषा में बदलाव किया गया है और इसमें ऐसे व्यक्तियों को शामिल किया गया है जिनके पास किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से एंब्रेयोलॉजी या क्लिनिकल एंब्रेयोलॉजी में पोस्ट ग्रैजुएट मेडिकल क्वालिफिकेशन या डॉक्टोरल डिग्री है, और उसे कम से कम दो वर्ष का क्लिनिकल अनुभव है।

स्रोतसेरोगेसी (रेगुलेशन) बिल, 2019राज्यसभा की 8 दिसंबर, 2021 की चर्चा की लिखित प्रतिलिपिसेरोगेसी बिल, 2019 पर सिलेक्ट कमिटी की रिपोर्ट 

 

[1] Report of the Select Committee on the Surrogacy Bill, 2019, February 5, 2020,  https://prsindia.org/files/bills_acts/bills_parliament/2019/Select%20Comm%20Report-%20Surrogacy%20Bill.pdf.

 

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